जनता की उम्मीदों का क्या किया मंत्रीजी ? II RAJASTHAN EXPRESS


- बाड़मेर से मालाणी एक्सप्रेस छिनने का व्यापक स्तर पर विरोध- सांसद और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चोधरी के खिलाफ लोगों में गुस्सा
- बाड़मेर की पैरवी नहीं करने का लोग लगा रहे हैं आरोप



खरी - खरी


बाड़मेर,
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा से जनता ने भाजपा के कैलाश चोधरी को जिता कर लोकसभा में भेजा था बड़ी उम्मीदों के साथ। केंद्र में मोदीजी ने उन्हें मंत्री मंडल में शामिल कर और भी उम्मीदों के नए पर लगा दिए। जनता ने केंद्र में मोदी सरकार और अपने कैलाश जी पर गर्व कर उन्हें कंधों पर बिठाया। उन्हें क्या पता कि मंत्री जी उन्ही कंधों को जख्म देंगे। अफसोस कि इधर सांसद कैलाश चोधरी जीतने के बाद कभी पैदल मार्च तो कभी विदेश यात्रा तो कभी रात्रि जागरण में तो कभी नगर परिषद चुनावों में वोट के लिए सड़कों पर रेलियां करने में व्यस्त रहे और उधर उन्हीं के क्षेत्र की जनता के साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बहुत बड़ी चोट कर मालाणी ट्रेन, जो पूर्व वित्त, विदेश एवं रक्षा मंत्री जसवन्त सिंह के अथक प्रयासों से शुरू करवाई गई थी को बंद करने का ऐलान कर दिया। कहने को बाड़मेर को मंडोर एक्सप्रेस दी, मगर सच्चाई तो यह कि पुचकार कर थप्पड़ मारने वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया। बाड़मेर की जनता आज नहीं, लंबे समय से लम्बी दूरी की ट्रेनों की मांग कर रही है, अभियान चला रही है, आंदोलन कर रही है।
 लोग विधायकों, सांसदों व मंत्रियों तक मिले, ज्ञापन सौंपे, पोस्ट कार्ड अभियान चलाया, मगर जनता को इस बात का आज भी दर्द है कि हमने जिस पर भरोसा कर संसद तक पहुंचाया, मोदी जी ने मंत्री मंडल में शामिल किया, वहीं सांसद कैलाश चोधरी बाड़मेर वासियों की उचित मांग को नजरअंदाज कर गए, संसद में रख नहीं पाए, रेल मंत्री को कह नहीं पाए। नतीजतन जो सुविधा थी, उसमें बढ़ोतरी की बजाय वही छीन ली गई। वाह, मंत्री जी वाह, आपनेआप पर भरोसा करने वालों को अपनी सरकार से यही तोहफा दिलाया, जिसकी बदौलत आज एक बार भी आपके क्षेत्र की जनता अपना हक मांगने के लिए विरोध में आ खड़ी हुई है, चीख रही है, चिल्ला रही है, मीडिया के सामने अपनी पीड़ा बयां कर रही। लेकिन आप है कि चुप्पी साधे हुए हैं। न तो क्षेत्र की जनता को कोई आश्वासन दे रहे हैं और ना ही आपको रेल मंत्री से मिल क्षेत्र की जनता का प्रतिनितित्व करने व मालाणी को यथावत रखवाने को लेकर कोई प्रयास करने का वक्त मिला है। क्या यह क्षेत्र की जनता के साथ धोखा नहीं है? कुछ करो मंत्री जी, कुछ करो।
 क्षेत्र की जनता को सुविधाएं दिलवा न सको तो कोई बात नहीं, पर किसी की सुविधाएं छिनने तो मत दो। अगर बाड़मेर की जनता के साथ ऐसे होता रहा तो बाड़मेर को दुबई देखने के सपनों का क्या होगा? एक तरफ बाड़मेर से मुम्बई-अहमदाबाद, दक्षिण भारत के साथ-साथ जयपुर-दिल्ली जैसी लम्बी दूरी की रेलों के सपने जनता देख रही है और आप हैं कि कमजोर प्रतिनिधित्व के चलते उनके सपनों को चकनाचूर होते देख रहे हो। बाड़मेर में तेल का खजाना है, रिफाइनरी का कार्य है, काले सोने के सहित कई खनिजों के भंडार हैं, शिक्षा को लेकर लम्बी दूरी तक आने-जाने का सिलसिला बढ़ा है तो वहीं सैन्य दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है।
 ऐसे में मालाणी यहां के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन रेल मंत्री के फैसले से निराशा जगी है। जनता मालाणी को यथावत रखने की मांग जोरों से कर रही है, जरूरत है आपके प्रतिनिधित्व की, मालाणी को नियमित रखना और लम्बी दूरी की रेल शुरू करवाना। क्षेत्र की जनता 2008 से यह मांग कर रही है, मगर आज तक जनता की मांग पूरी होनी तो दूर संसद में ही नहीं गूंजी और जो मालाणी चल रही थी उसे भी बन्द करने का निर्णय आखिर क्यों मंत्रीजी क्यों? क्या जनता ने आपको संसद भेज, अपने कंधों पर उठा कोई गुनाह किया?

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